Diwali 2024

Diwali 2024 | दिवाली 2024 मे कब है ?

Diwali 2024 दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है जो आरंभ हो रहा है – 31 October 2024 – 3:56 pm से और समाप्त होगी 1 November 2024 – 6:16 pm पर। 

Diwali 2024

सनातन धर्म के अनुसार किसी भी तिथि का आरंभ सूर्य उदय से होता है अर्थात सूर्य उदय के समय उस तिथि का होना आवश्यक है इसलिए हम दीपावली का त्योहार 1 November 2024 को मनाएंगे। 

धनतेरस – 29 October 2024 

मुख्य दिवाली (Diwali 2024) – 1 November 2024 

गोवर्धन पूजा – 2 November 2024 

भाई दूज – 3 November 2024 

दिवाली भारत का सबसे प्रमुख और व्यापक रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है। यह पाँच दिनों का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व भी गहरा है। हर वर्ष कार्तिक मास की अमावस्या को मनाए जाने वाले इस पर्व के पीछे अनेक पौराणिक कथाएँ और परंपराएँ जुड़ी हुई हैं।

धार्मिक महत्व

दिवाली का धार्मिक महत्व अत्यंत व्यापक है और इसे भारत के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न कथाओं और देवताओं के साथ जोड़ा जाता है। सबसे प्रमुख कथा भगवान श्रीराम से संबंधित है। माना जाता है कि जब भगवान राम 14 वर्ष के वनवास के बाद रावण पर विजय प्राप्त करके अयोध्या लौटे थे, तब अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए नगर को दीपों से सजाया था। इस घटना की स्मृति में हर साल दीपावली मनाई जाती है।

इसके अलावा, यह पर्व माता लक्ष्मी की पूजा के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है। लक्ष्मी माता को धन, समृद्धि और वैभव की देवी माना जाता है, और दिवाली की रात को विशेष रूप से उनकी पूजा की जाती है। लोग इस दिन अपने घरों को साफ-सुथरा कर, सजाकर और दीप जलाकर माता लक्ष्मी का स्वागत करते हैं।

दिवाली के पाँच दिन और उनकी महत्ता | All about Diwali 2024

दिवाली केवल एक दिन का पर्व नहीं है, बल्कि पाँच दिनों तक चलने वाला त्योहार है। हर दिन का अपना विशेष महत्व है:

  1. धनतेरस: इस दिन भगवान धन्वंतरि, जो आयुर्वेद के देवता माने जाते हैं, की पूजा की जाती है। साथ ही, इस दिन नए बर्तन, आभूषण, और संपत्ति खरीदने का प्रचलन है, जो समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। धनतेरस के बारे मे अधिक यहाँ पढ़े 
  2. नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली): इस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया था और 16,000 स्त्रियों को उसके अत्याचार से मुक्त किया था। इसे बुराई पर अच्छाई की विजय के रूप में मनाया जाता है।
  3. मुख्य दिवाली (Diwali 2024): यह दिन माता लक्ष्मी की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन, घरों में दीप जलाकर लक्ष्मी पूजन किया जाता है ताकि देवी लक्ष्मी प्रसन्न हों और समृद्धि का वास करें।
  4. गोवर्धन पूजा: यह दिन भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर गोकुलवासियों की रक्षा करने की घटना की याद में मनाया जाता है। यह प्रकृति और कृषि के प्रति कृतज्ञता का दिन है।
  5. भाई दूज: इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए पूजा करती हैं। यह भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा के रिश्ते को मजबूत करने का दिन है।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

दिवाली का महत्व केवल धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक स्तर पर भी बेहद गहरा है। इस पर्व को लोगों के बीच खुशियाँ बाँटने, मेल-मिलाप और सौहार्द्र का प्रतीक माना जाता है। भारत में दीपावली के समय लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं। रंगोली बनाते हैं, घर को दीपों और लाइटों से सजाते हैं और एक-दूसरे को मिठाई और उपहार देते हैं।

विभिन्न क्षेत्रों में दीपावली के रीति-रिवाज भी भिन्न होते हैं। उत्तर भारत में यह त्योहार मुख्य रूप से रामायण से जुड़ा हुआ है, जबकि पश्चिम बंगाल में इसे काली पूजा के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है, और दक्षिण भारत में इसे दीपम के रूप में मनाया जाता है।

पर्यावरण और स्वच्छता के साथ दीपावली कैसे मनाएं

आज के समय में, दीपावली का त्योहार पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है। पुराने समय में जब लोग केवल मिट्टी के दीयों का उपयोग करते थे, तब यह उत्सव प्रकृति के प्रति अधिक संवेदनशील था। लेकिन आधुनिक समय में पटाखों और रसायनों से बने सजावटी सामानों का उपयोग बढ़ने से पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचा है।

ऐसे में, आज यह आवश्यक हो गया है कि हम दीपावली को पर्यावरण के प्रति जागरूकता के साथ मनाएँ। इसके लिए कुछ सुझाव हैं:

  • पटाखों का कम से कम या बिलकुल उपयोग न करें: पटाखों से वायु और ध्वनि प्रदूषण फैलता है, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए हानिकारक है। इसकी बजाय, मिट्टी के दीयों और प्राकृतिक सजावट का उपयोग करें।
  • प्राकृतिक रंगों से रंगोली बनाएं: रासायनिक रंगों की जगह फूलों, चावल और हल्दी से बनी रंगोली का उपयोग करें। यह पर्यावरण के अनुकूल भी होता है और देखने में भी सुंदर लगता है।
  • इलेक्ट्रिक लाइट्स की जगह मिट्टी के दीये जलाएं: मिट्टी के दीये न केवल पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, बल्कि छोटे कारीगरों की आर्थिक स्थिति को भी सुदृढ़ करते हैं।

दीपावली का त्योहार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का पर्व है, बल्कि यह आपसी प्रेम, सौहार्द्र, और परिवार के साथ समय बिताने का भी प्रतीक है। हमें इसे इस भावना के साथ मनाना चाहिए कि यह त्योहार केवल हमारे घरों को ही नहीं, बल्कि हमारे जीवन को भी प्रकाशित करता है। साथ ही, हमें इसे पर्यावरण की दृष्टि से भी संवेदनशील होकर मनाना चाहिए, ताकि यह पर्व आने वाली पीढ़ियों के लिए भी खुशियाँ लाए।



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