नवरात्रि की महत्ता | Significance Of Navratri in Hindi
नवरात्रि का पावन त्योहार 3 अक्टूबर से आरंभ होकर 12 अक्टूबर को विजयदशमी के साथ सम्पन्न होगा (अधिक जानकारी यहाँ देखे )। यह तो हम सब जानते है की नवरात्रि के 9 दिन माँ दुर्गा के 9 रूपों को समर्पित हैं, जिन्हें हम नवदुर्गा भी कहते हैं पर क्या आप नवरात्रि की महत्ता जानते है (Significance Of Navratri)? माँ दुर्गा का हर एक रूप कुछ गुणों को दर्शाता है। इन गुणों को अगर हम अपने अंदर जागरूक कर लें तो नवरात्रि के बाद विजयदशमी की तरह हमें भी विजय प्राप्त हो सकती है। ऐसा कह सकते हैं कि सफलता पाने के लिए जिन गुणों की आवश्यकता है, माँ रानी का 9 रूप हमें उन गुणों से अवगत कराता है।
आइए जानते हैं नवदुर्गा के गुणों और नवरात्रि की महत्ता को | Significance Of Navratri
Table of Contents
शैलपुत्री
नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री को समर्पित है। माँ का यह रूप प्रतिबद्धता (commitment) और दृढ़ता (firmness) का गुण दर्शाता है। शैल अर्थात पर्वत, जो विकट से विकट परिस्थिति में भी डट कर खड़ा रहता है, वैसे ही मनुष्य को विकट परिस्थितियों में प्रतिबद्धता और दृढ़ता से खड़ा रहना चाहिए तथा परिस्थितियों का सामना करना चाहिए।
ब्रह्मचारिणी
माँ का यह रूप अनुशासन, तप और त्याग को दर्शाता है। जीवन में सफलता के लिए प्रथम तप और त्याग आवश्यक है। जिस प्रकार माँ ब्रह्मचारिणी ने अनुशासन से तप किया, त्याग किया, तब उन्हें महादेव की प्राप्ति हुई। उसी प्रकार जब मनुष्य अनुशासित रहता है, तप और त्याग करता है, तब उसे सफलता की प्राप्ति होती है।
चंद्रघंटा
शास्त्रों में चंद्र को मन बताया गया है। माँ चंद्रघंटा मन को नियंत्रण में रखना और जागरूकता को दर्शाती है। एक जागरूक मनुष्य ही अवसर को देख पाता है तथा जो मन को नियंत्रण में रख लेता है, उसे सफलता अवश्य प्राप्त होती है।
कूष्माण्डा
माँ कूष्माण्डा संभावना, विकास या प्रगति को दर्शाती है। माँ आंतरिक मन को विकसित करती है। जिस प्रकार माँ कूष्माण्डा ने सृष्टि का सृजन किया, उसी प्रकार हमारे आंतरिक मन में अनंत संभावनाएं हैं जो हमें विकास और प्रगति की ओर ले जा सकती हैं।
स्कंदमाता
माँ का यह रूप करुणा, प्रेम और संवेदनशीलता को दर्शाता है। जिस प्रकार एक माँ अपने शिशु के प्रति प्रेम और करुणा रखती है, वैसे ही मनुष्य को संसार के प्रति करुणामई और संवेदनशील होना चाहिए।
कात्यायनी
माँ पालन-पोषण और संबंधों की देवी हैं। माँ कात्यायनी संबंधों में मधुरता लाने का काम करती हैं तथा इसी रूप में माँ ने महिषासुर का वध किया था। माँ का यह रूप दर्शाता है कि मनुष्यों को अपने संबंधों में मधुरता रखनी चाहिए तथा समाज की रक्षा करनी चाहिए।
कालरात्रि
माँ का यह रौद्र रूप है जो दर्शाता है कि जो स्त्री एक सृष्टि को, नए जीवन को रच सकती है, वही स्त्री धर्म की स्थापना के लिए रौद्र रूप ले कर जीवन ग्रहण भी कर सकती है। माँ के इस रूप से हमें यह शिक्षा मिलती है कि जहाँ हमें संसार के प्रति करुणामई होना चाहिए, वहीं अधर्म होने पर अधर्म को समाप्त कर धर्म की स्थापना करनी चाहिए।
महागौरी
गौर अर्थात सफेद, जो दर्शाता है सौम्यता और पवित्रता को। गौर का एक और अर्थ ज्ञान भी है। श्रीमद्भगवद्गीता में लिखा है कि ज्ञान के समान दूसरी कोई चीज पवित्र नहीं है। माँ के इस रूप से हमें यह शिक्षा मिलती है कि ज्ञान रूपी पवित्रता को अपने अंदर स्थापित कर अज्ञानता के अंधकार को दूर करना चाहिए।
सिद्धिदात्री
माँ का यह रूप उपलब्धि और निपुणता को दर्शाता है। इस रूप से हम यह सीखते हैं कि अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित और प्रयत्नशील रहें तथा विकसित होते रहें ताकि हमें सुनिश्चित सफलता मिले।
जब हम माँ दुर्गा के इन गुणों का पालन कर और नवरात्रि की महत्ता को समझ कर अपने अंदर स्थापित करते हैं, तो हमें नवरात्रि के बाद विजयदशमी की भाँति विजय प्राप्त होती है।
अधर्म पर धर्म की विजय
नवरात्रि के हर संदर्भ में यह देखा जाता है कि यह पर्व अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। चाहे वह महिषासुर का वध हो या रावण का नाश, नवरात्रि हमें यह सिखाती है कि जब-जब बुराई बढ़ती है, तब-तब शक्ति (दुर्गा) का आविर्भाव होता है।
विजयदशमी की महत्ता
विजयदशमी, जिसे दशहरा भी कहते हैं, नवरात्रि के अंत में मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है और रावण के दहन के साथ इसे मनाया जाता है। विजयदशमी का दिन हमें यह सिखाता है कि सत्य और धर्म की विजय निश्चित होती है, और हमें अपने जीवन में सच्चाई और नैतिकता का पालन करना चाहिए।
जब हम माँ दुर्गा के इन गुणों को अपने जीवन में आत्मसात करते हैं, तो नवरात्रि के बाद विजयदशमी की भाँति हम भी अपने जीवन में विजय प्राप्त कर सकते हैं। यह पर्व हमें प्रेरित करता है कि हम अपनी कमजोरियों को दूर कर, सफलता और विजय की ओर बढ़ें।
2 thoughts on “Significance Of Navratri”